रामायण और महाभारत काल के परिप्रेक्ष्य में झारखंड का धार्मिक परिदृश्य
Keywords:
दण्डकारण्य, हिडिंबा वन, कर्ण प्रयाग, रामगढ़, धार्मिक परंपराएं.Abstract
झारखंड का धार्मिक इतिहास, रामायण और महाभारत काल के संदर्भ में, इस क्षेत्र की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को उजागर करता है। रामायण में दण्डकारण्य का उल्लेख झारखंड के वन क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है, जहां भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान यात्रा की। इस स्थल की धार्मिक महत्ता आज भी झारखंड की पूजा विधियों और परंपराओं में जीवित है। महाभारत में हिडिंबा वन और कर्ण प्रयाग का वर्णन झारखंड के धार्मिक स्थलों की प्रमुखता को दर्शाता है। हिडिंबा की पूजा और कर्ण की तपस्या से जुड़े स्थल आज भी धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र हैं। इन महाकाव्यों के माध्यम से, झारखंड की धार्मिक परंपराएं और स्थलों की प्रासंगिकता प्रकट होती है, जो प्राचीन कथाओं को वर्तमान समय में भी जीवित रखती हैं। यह अध्ययन झारखंड की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को समझने में सहायक है और भारतीय धार्मिक परिदृश्य में इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है। रामायण और महाभारत काल की कथाएं और परंपराएं झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध बनाती हैं।