भारतीय लोकतंत्र और आतंकवाद: एक समकालीन ववश्लेषण
Abstract
भारत, विश्ि का सबसे बडा लोकतंत्र, अपनी अद्वितीय सांस्कृततक, धार्मिक और भाषाई विविधता के र्लए जाना
जाता है। 1947 में स्ितंत्रता प्राप्तत के बाद, भारतीय लोकतंत्र ने नागररकों को समानता, स्ितंत्रता और न्याय
जैसे मौर्लक अधधकार प्रदान करने के र्लए एक सशक्त संविधान अपनाया।
हालांकक, इस लोकतांत्रत्रक व्यिस्था को आतंकिाद जैसे गंभीर खतरे का सामना करना पडा है। आतंकिाद, जो
हहंसा और भय के माध्यम से राजनीततक, धार्मिक या िैचाररक उद्देश्यों की पूतत ि करता है, ने भारतीय लोकतंत्र
की प्स्थरता और एकता को प्रभावित ककया है। आतंकिादी घटनाएँ न केिल राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालती
हैं, बप्कक सांप्रदातयक सौहादि को भी चोट पहुँचाती हैं।
आतंकिाद के बढ़ते मामलों में सीमापार आतंकिाद, धार्मिक उग्रिाद, राजनीततक अप्स्थरता और आधथिक असमानता
मुख्य कारण माने जाते हैं। 2008 के मुंबई हमलों और 2019 के पुलिामा हमले जैसे घटनाक्रमों ने राष्ट्रीय सुरक्षा
तंत्र को चुनौती दी है।
यह शोधपत्र आतंकिाद के विर्भन्न पहलुओं की समकालीन प्रिृवियों, उसके कारणों और प्रभािों का गहन विश्लेषण
करता है। साथ ही, यह तनिारण के उपायों पर कें हित है, प्जनमें कठोर विधधक प्रितिन, र्शक्षा, जागरूकता और
अंतरराष्ट्रीय सहयोग शार्मल हैं।